दिल्ली का प्राचीन नाम क्या है ?Dilli Ka Prachin Naam Kya Hai

दिल्ली का प्राचीन नाम क्या है ? दिल्ली भारत देश की राजधानी है और इसका नाम मुगल काल से दिल्ली है लेकिन उससे पहले दिल्ली का पुराना नाम क्या था। दिल्ली का इतिहास सचमुच कमाल का है दिल्ली में ही कई ऐतिहासिक इमारते भी है जो सदियों से अभी भी वही मौजूद है।

आज इस इस पोस्ट में हम आपके ऐसी सवाल का जवाब देंगे कि दिल्ली का पुराना नाम क्या है और यह भी बताएंगे कि दिल्ली का नाम दिल्ली कैसे पड़ा ? अगर आप यह जानना चाहते है तो आज का ये पोस्ट आपके लिए बहुत खास होने वाला है इसलिए इसे अंत तक पढ़ियेगा।

दिल्ली का प्राचीन नाम क्या है ?

दिल्ली का प्राचीन नाम क्या है


दिल्ली का प्राचीन नाम है "इंद्रप्रस्थ" था। इसका मतलब समझाये तो भगवान इंद्र का स्थान होता है यह महाभारत काल मे हमे इसके बारे में पड़ने को मिलता है। दिल्ली भारत के इतिहास का सबसे प्राचीन स्थान है।

यह 1483 किलोमीटर में फैला हुआ है और भारत की पवित्र नदियों में से एक यमुना नदी के किनारे बसा हुआ है। जनसंख्या के दृष्टिकोण से देखे तो यह देश का दूसरा सबसे बड़ा महानगर हैं इसके निर्माण की गाथा जानने के लिए आगे पड़े।

लगभग पांच सौ सालों से भी अधिक समय से दिल्ली राजनीतिक उथल-पुथल की होती रही है। नए नए शासक दिल्ली पर कब्जा करने का खाब देख रहे थे। यहां खिलजी और तुगलक वंशों के बाद मुग़लों ने शासन किया। मुगलो ने ही यहां ऐतिहासिक इमारत का निर्माण कराया जो आज भी दर्शनीय है|


दिल्ली की स्थापना कैसे हुई?

दिल्ली शहर भारत की ऐतिहासिकता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है इस शहर में कई हिन्दू-मुस्लिम प्रसिद्ध शासको ने राज किया है दिल्ली की सत्ता पाने के लिए अनेक सम्राटों ने इसपर हमला किया था जिनमे से कई राजा अपनी शक्ति से दिल्ली पर राज किया।

दिल्ली का इतिहास महाभारत के जितना ही पुराना है। इस शहर को इंद्रप्रस्थ के नाम से जाना जाता था, जहां कभी पांडव रहे थे। समय के साथ-साथ इंद्रप्रस्थ के आसपास के शहर भी इससे जुड़ने लगे।

इंद्रप्रस्थ मतलब दिल्ली की स्थापना महाभारत के समय हुई इसकी कहानी यह है कि जब कौरव और पांडव के बीच साम्राज्य का बटवारा हुआ। उनके राज्य हस्तिनापुर में एक जंगल ऐसा था जहाँ सर्पो(साँप) का राज था वहाँ इंसान नही रहते थे। बटवारा हुआ तो पांडवो ने उसी जगह को बटवारे में मंगा जहाँ सर्पो का राज था साँपो का राजा तक्षत इस बात से खुश नही था उसने पांडवो को उस स्थान से भागने के लिए कई प्रयास किये मगर सारे प्रयास असफल रहे।

तक्षत को भगवान इंद्र से वरदान प्राप्त था कि समय आने पर वे उनकी रक्षा करेंगे। तब अर्जुन और भगवान इंद्र के बीच युद्ध की स्थिति बन गयी थी जिसे श्री कृष्ण ने विराम किया। तत्पश्चात श्री कृष्ण द्वारा समझाईस से यह निर्णय हुआ कि सर्पो को मनुष्यो से कोई हानि नही होगी इस बात को इंद्र भी मान गए और उन्होंने उस जंगल को नगर बनाने में सहायता प्रदान की इंद्र के द्वारा दी सहायता से वह जंगल बहुत जल्द एक विशाल नगर में परिवर्तित हो गया। इसे देखते हुए कृष्ण और पांडवो ने यह तय किया कि नगर का नाम "इंद्रप्रस्थ"रखा जाएगा। इस प्रकार इंद्रप्रस्थ की स्थापना हुई।


इंद्रप्रस्थ का नाम दिल्ली कैसे पड़ा ?

दिल्ली नाम पड़ने के पीछे कहानी यह है कि तोमरवंश के शासन काल दौरान जो उनके राज्य में सिक्के बनाए जाते थे जिसे देहलीवाल कहा करते थे। इसी नाम देहलीवाल से इंद्रप्रस्थ का नाम देहली और देहली से दिल्ली नाम पड़ा।

कुछ लोगों का मानना है की मौर्य राजा दिलु के राज के समय हैं। सिंहासन के ठीक सामने एक कील ठोकी गई थी और वहां के ज्योतिष उन्हें यह कहते थे कि यह किला जबतक यहां है टैब तक यह राज्य सुख सम्पन्न रहेगा। राजा को इसपर यकीन नही था इसलिए उसने वह कील निकला दी बाद में ज्योतिषों और लोगो द्वारा बहुत कहे जाने पर उन्होंने वह कील वापस वही ठुकवा दी लेकिन पहले से ठुकी रहने के कारण उस स्थान पर गड्ढा हो गया था इसलिए वापस वही किल ठुकने पर वह ढीली हो गयी थी।

तब वहां के लोगो द्वारा यह कहावत बना "किल्ली तो ढिल्ली" और वह राजा दिलु का शासन था इसी से उसका नाम दिल्ली पड़ा।

आपने क्या जाना

हमारे इस पोस्ट का उद्देश्य सिर्फ आप लोगो को दिल्ली से जुड़ी जानकारी देना था क्योंकि यह एक प्राचीन शहर है जोकि महाभारत की गवाह है इसलिए कई लोगो को यह मालूम नही था कि दिल्ली का प्राचीन नाम क्या है और दिल्ली का नाम दिल्ली कैसे पड़ा आदि। हमे उम्मीद है इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आप यह जानकारी हो गयी होगी।

आप सभी को अच्छी जानकारी प्रदान करना ही हमारा उद्देश्य है और भी अच्छी जानकारी के लिए एक बार हमारे साइट में visit जरूर करिये। यह आर्टिकल दिल्ली का पुराना नाम क्या है अपने दोस्तों के साथ भी शेयर कीजिये धन्यवाद...