तुलसी पूजा क्यो मनाई जाती है ? -Tulsi Puja Kyo Manate Hai

Tulsi Pooja क्यों मनाई जाती है हर साल दीपावली के शुभ पर्व के 20 दिन बाद एकादशी को ऐसा ही शुभ पर्व तुलसी पूजा मनाई जाती है मगर क्या आपको पता है कि Tulsi Puja kyo manate hai इसे मनाने का क्या कारण होता होगा और अगर इसे मानते है तो सही तरीके से कैसे मनाये इत्यादि बहुत से सवाल आपके मन मे होंगे इसी के ऊपर आज का हमने अपना आर्टिकल लिखा है जिसमे आपके सारे सवालों के जवाब मिल जाएंगे

जैसा कि आपको पता है भारत एक बहुधर्मी देश है इस देश मे सभी को अपने त्योहार और रीति-रिवाज मनाने की छूट है ऐसा करने से कोई भी किसी को रोक नही सकता हिन्दू धर्म के त्यौहार तुलसी पूजा को भी सभी देश मे धूमधाम से मनाई जाती है सभी इसे अपने अपने तरीके से मनाते है हम आशा करते है की इस पोस्ट के माध्यम से आपको कुछ अच्छी जानकारी तुलसी पूजा के बारे में मिलेगी चलिए इसे ठीक से जाने

    तुलसी पूजा क्या है -Tulsi Pooja


    तुलसी पूजा भारत के ही हिन्दू धर्म का एक त्योहार है जिसे प्रतिवर्ष दीपावली पर्व के 20 दिनों बाद एकदशमी को मनाया जाता है इसे पूरे देश में तुलसी पूजा और तुलसी विवाह के नाम से मनाया जाता है मगर इन दोनों का मतलब एक ही होता है तुलसी पूजा के दिन ही तुलसी का विवाह पत्थर के साथ किया जाता है जिसे तुलसी पूजा या तुलसी विवाह के नाम से सम्बोधित करते है

    तुलसी पूजा में किनका विवाह किया जाता है


    तुलसी का पौधा को पवित्र पौधा मना जाता है जोकि सत्य है इसे तुलसी माता के नाम से भी संबोधित किया जाता है तुलसी पूजा के दिन जब इस पौधे का विवाह किया जाता है भारतीय संस्क़ृति में तुलसी के पौधे में माता वृंदा का वास होता है और उनका विवाह भगवान विष्णु के के रूप में शालिग्राम( पत्थर) के साथ किया जाता है जिसे सारी रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है


    तुलसी पूजा क्यो मनाई जाती है -Tulsi Puja Kyo Manate  hai

                                                       
    Tulsi Puja Kyo Manate hai


    तुलसी पूजा में तुलसी विवाह करने के पीछे एक कथा है जिसमे जलंधर नाम का एक शक्तिशाली राक्षस होता है जिसे शिव का अंश भी कहा जाता है वह बहुत शक्तिशाली था जिसने वृंदा नाम की पवित्र स्त्री से विवाह किया था क्योंकि वृंदा एक पतिव्रता पवित्र स्त्री थी जिसके कारण जलंधर की शक्ति और बाद गयी देवताओं में भी उनका संहार करने की शक्ति नही थी

    तब यह देख कर सभी देवता शिव और विष्णु जी के पास गए बहुत विचार के बाद विष्णु जी ने मार्ग निकाल लिया कि यदि वृंदा की पतिव्रता को भंग किया जाए तो जलंधर को मारा जा सकता है सभी देवताओं ने उनकी बात में सहमति दिखाई तत पश्चात भगवान विष्णु जलंधर का रूप लेकर वृंदा के पास पहुँचे और उन्होंने वृंदा को स्पर्श किया जिससे वृंदा की पतिव्रता नष्ट हो गयी

    वृंदा की पतिव्रता नष्ट होने से जलंधर की शक्ति कम हो गयी और उसकी मृत्यु हो गयी जब वृंदा को यह पता चला किये ये भगवान विष्णु है और इन्होंने उनके पति जलंधर को मरवा दिया तब वृंदा ने विष्णु जी को श्राप दिया कि आप पत्थर बन जाएंगे और जिस प्रकार मैं अपने पति से बिछड़ रही हु वैसे ही आप अपनी पत्नी से बिछड़ेंगे यह श्राप देकर वृंदा ने अपने प्राण वही त्याग दिए उसने जहा अपने प्राण त्यागे वही से एक पौधा ऊगा जिसे विष्णु जी ने तुलसी पौधा नाम दिया

    पत्नी से बिछड़ने का श्राप रामायण में विष्णु जी के राम अवतार में सच हुआ भगवान विष्णु में उसे यह भी वरदान दिया कि मेरे पत्थर स्वरूप से तुलसी पौधे का विवाह किया जाएगा तो उसे मेरा आशीर्वाद प्राप्त होगा


    तुलसी पूजा कैसे मनाई जाती है Tulsi Puja kaise manai jati hai


    तुलसी पूजा में तुलसी के पौधे का विवाह किया जाता है जिसमे तुलसी के पौधे को चुनरी पहनाई जाती है बच्चे इस दिन पटाखे भी फोड़ते है तुलसी के पौधे को बीच मे रख कर उसके ऊपर गन्ने का मंडप लगाया जाता है सभी लोग नए कपड़े पहनते है तुलसी के गमले में शालिग्राम पत्थर रखे शालिग्राम में तिल चढ़ाये| दूध में हल्दी भीगा कर गन्ने में शालिग्राम में लगाये और इसकी पूजा करे कपूर से आरती करें 11 बार तुलसी जी की परिक्रमा की जाती है उसमें पूजन के लिए जो प्रसाद चढ़ाये होते है उसे वितरण किया जाता है और इस प्रकार तुलसी पूजा /तुलसी विवाह किया जाता है

    निष्कर्ष


    हमे उम्मीद है कि आपको हमारी पोस्ट तुलसी पूजा क्यों मनाई जाती है -Tulsi puja kyo manate hai जरूर पसंद आई होगी और इससे आपको कुछ जानने को मिला होगा इस पोस्ट में आपको तुलसी पूजा से जुड़ी सारी जानकारी मिल गयी होगी ताकि आपको कही और जाकर infomation लेने की जरूरत न पड़े।

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